दैनिक प्रतियोगिता हेतु स्वैच्छिक विषय मौन के शब्द
मौन के शब्द ।
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कहीं दूर जब दिन ढल जाये
साँझ की दुल्हन बदन चुराए
चुपके से आये मेरे
ख्यालों के आँगन में
कोई सपनों के दीप
जलाए दीप जलाये
कभी यूँ ही जब
हुई बोझल साँसें
भर आई बैठे बैठे
जब यूँ ही आँखें
कभी मचल के
प्यार से चल के
छुए कोई मुझे
पर नज़र न आये!
कहीं तो यह दिल
कभी मिल नहीं पाते
कहीं पे निकल
आये जन्मों के नाते
थमी थी उलझन
बैरी अपना मन
अपना ही होके
सहे दर्द पराए
कहीं दूर जब
दिन ढल जाये
साँझ की दुल्हन
बदन चुराए
चुपके से आये.
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फ़िल्म: आनन्द -१९७१।
शब्द : योगेश गौड़।
आवाज़: मुकेश।
Shashank मणि Yadava 'सनम'
10-Mar-2023 07:25 PM
बेहतरीन
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Sachin dev
16-Dec-2022 06:37 PM
Well done
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shweta soni
15-Dec-2022 11:06 PM
👌👌
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